Friday, December 17, 2010

मुझे आज भी याद है

रख कर सर अपना तेरी बाहों पर , करना बात आज भी याद है ...
फिर कुछ कहते कहते रुक जाना तेरा मुझे आज भी याद है


मुश्किल था आँधियों से टकराना मेरा , मगर तू साथ था तो 
तूफ़ान में भी कश्ती समंदर में ले जाना , आज भी याद है 


न खोल अपनी बाहों को रहने दे मुझे इनकी गिरफ्त में ..
तुम हो ना हो पर दिल को तुम्हारा एहसास हो जाना , आज भी याद है


महकती साँसे तुम्हारी मुझे बेखुद किये जाती थी कभी
कभी तुम्हारे करीब आते मेरा बहक जाना , आज भी याद है


वो हर सुबह मिलने कि बेकरारी और हर रोज़ कि मुस्कुराती नज़र
वो लौट कर घर को जाते वक़्त उदास चेहरा तेरा , मुझे आज भी याद है


तेरे बगैर जिंदगी ना जाने कितनी दफा मुस्कुराने आई पास,
कैसे मुस्कुराते हम , जो तेरा रो कर जुदा होना , हमे आज भी याद है

Sunday, December 12, 2010

कहने को मोहब्बत है लेकिन

कहने को मोहब्बत है लेकिन, अब ऐसी मोहब्बत क्या करनी,
जो नींद चुरा ले आँखों से,

जो ख्वाब दिखा कर फूलो के, तकदीर में कांटें दे जाये
जो गम की काली रातों से हर आस का जुगनू ले जाये,
जो ख्वाब सजाती आँखों को आंसू ही आंसू दे जाये,
जो मुश्किल कर दे जीने को, जो मरने को आसाँ कर जाये
वो दिल जो प्यार का मंदर हो, वो यादों को मेहमान कर जाये ,

अब ऐसी मोहब्बत क्या करनी 

जो उम्र की नगदी ले जाये और फिर भी झोली खाली हो
वो सूरत दिल का रोग बने जो सूरत देखी भाली हो
जो कैस बना दे इन्सां को , जो राँझा ओर फरहाद करे
अब ऐसी मोहब्बत क्या करनी जो खुशियों को बर्बाद करे

देखो तो मोहब्बत के मारे, हर सक्श यही बस कहता है
सोचो तो मोहब्बत के अन्दर, एक दर्द हमेशा रहता है

फिर भी जो चीज़ मोहब्बत है कब इन बातों से डरती है
कब इनके बांधे रुकती है,कब ज़माने के डर पे झुकती है 



जिस दिल में इसे बसना हो ये चुपके से बस जाती है
एक बार मोहब्बत हो जाये
फिर चाहे जीना मुश्किल हो, या झोली खाली रह जाये
या आँखें आंसू बन जाये, या राँझा और फरहाद करे,
फिर इसकी हुकूमत होती है , आबाद करे बर्बाद करे,

एक बार मोहब्बत हो जाये, कब इन बातो से डरती है
कब इनके बांधे रूकती है,कब ज़माने के डर पे झुकती है 

जो चीज़ मोहब्बत है साकी, जब होनी हो; हो जाती है





to be contd.... will complete it some day....