Tuesday, August 10, 2010

ख्वाहिश

दिए तो होते उन्होंने अपने गम ...हमने कहाँ खुशियों कि ख्वाहिश की थी ...
कुछ पल ठहर तो जाते संग मेरे ... मैने कब उम्र बिताने कि गुजारिश कि थी ...


एक आवाज लगा दे तु ,

लौट आने का मन है !

बस इशारा ही चाहिए ,

फ़िर से दिल लगाने का मन है !!

खो चुकी हैं जो यादें,

रेत उन पर से हटाने का मन है !

आज फ़िर से सुबह की पहली किरण के संग उठ जाने का मन है,

बहुत हुआ इन्तहां,

आज फ़िर इस पुराने दिल को आजमाने का मन है !

बस दे दो एक इशारा ,

फ़िर से दिल लगाने का मन है..........

खो चुकी थी जो आरजू,

फ़िर से उन्हें सपने बनने का मन है !

जुस्तजू जगी है निभाने को वादे ,

जो किए थे हमने कभी ,

उन वादों की खातिर ही ,

एक इशारा दे - दे ..

फ़िर से दिल लगाने का मन है ...

एक आवाज लगा दे तुं ,

लौट जाने का मन है !

बस इशारा ही चाहिए ,

फ़िर से दिल लगाने का मन है-....
फ़िर से दिल लगाने का मन है-....

2 comments:

  1. Namita .... bahut sundar Likha hai ... seedhe saral shabdon se apne DIL ki baat purjor tarike se keh di hai tumne ... Aag laga dii hai ...

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  2. superb nami,gr8 job by gr8 girl.Direct dil par asar karta hai ye wala poem.

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