रख कर सर अपना तेरी बाहों पर , करना बात आज भी याद है ...
फिर कुछ कहते कहते रुक जाना तेरा मुझे आज भी याद है
मुश्किल था आँधियों से टकराना मेरा , मगर तू साथ था तो
तूफ़ान में भी कश्ती समंदर में ले जाना , आज भी याद है
न खोल अपनी बाहों को रहने दे मुझे इनकी गिरफ्त में ..
तुम हो ना हो पर दिल को तुम्हारा एहसास हो जाना , आज भी याद है
महकती साँसे तुम्हारी मुझे बेखुद किये जाती थी कभी
कभी तुम्हारे करीब आते मेरा बहक जाना , आज भी याद है
वो हर सुबह मिलने कि बेकरारी और हर रोज़ कि मुस्कुराती नज़र
वो लौट कर घर को जाते वक़्त उदास चेहरा तेरा , मुझे आज भी याद है
तेरे बगैर जिंदगी ना जाने कितनी दफा मुस्कुराने आई पास,
कैसे मुस्कुराते हम , जो तेरा रो कर जुदा होना , हमे आज भी याद है
No comments:
Post a Comment