यही वफ़ा का सिलसिला है तो कोई बात नहीं ,
दर्द ये तुमने दिया है तो कोई बात नहीं ,
यही बहुत है कि तुम देखते हो साहिल से
कश्ती डूब रही है तो कोई बात नहीं I
रखा था अरमानो दिल में छुपा कर तुमको,
वो घर तुमने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं,
तुमने ही आइना - ए - दिल मेरा बनाया था,
तुम्ही ने तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं ,
किसे मज़ाल कहे कोई मुझको "बदनाम "
पर अगर ये तुमने कहा है तो कोई बात नहीं...
यही वफ़ा का सिलसिला है तो कोई बात नहीं ,
दर्द ये तुमने दिया है तो कोई बात नहीं
Tuesday, September 28, 2010
Monday, September 27, 2010
ख़ुशी कि इन्तेहाँ
जाने किस किस मोड़ पर ले आती है जिंदगी ...
इतना हंसा भी ना पाई है जितना रुलाती है जिंदगी ...
जिंदगी के खलीपन कि सजा किसको सुनाये ?
हमें अपनी ही अदालत में खींच लाती है जिंदगी ...
जब भी समेटा है खुद को , कि सँवारे इसे हम
रुख हवाओं का बदल बदल कर बहाती है जिंदगी ...
आज फिर से टूटा है मेरा घरौंदा बनते बनते
और वो देखो कैसे गुमसुम गुमनाम सी चली जाती है जिंदगी ...!!!
"बहुत रोता है ये दिल उस एक आंसू कि खातिर जो निकल आता है ख़ुशी कि इन्तेहाँ होने पर ..."
इतना हंसा भी ना पाई है जितना रुलाती है जिंदगी ...
जिंदगी के खलीपन कि सजा किसको सुनाये ?
हमें अपनी ही अदालत में खींच लाती है जिंदगी ...
जब भी समेटा है खुद को , कि सँवारे इसे हम
रुख हवाओं का बदल बदल कर बहाती है जिंदगी ...
आज फिर से टूटा है मेरा घरौंदा बनते बनते
और वो देखो कैसे गुमसुम गुमनाम सी चली जाती है जिंदगी ...!!!
"बहुत रोता है ये दिल उस एक आंसू कि खातिर जो निकल आता है ख़ुशी कि इन्तेहाँ होने पर ..."
...Namiके दिल से
कमाल कर दिया आपने
वो जिंदगी में आये..और
मैने अपनी जिंदगी खुली किताब सी बिछा दी उनके सामने ...
ताकि कोई शिकवा गिला ना रह जाये...
उन्होंने मेरी जिंदगी कि किताब को पढ़ा और अपने हिसाब से किताब के पन्ने फाड़ने लगे...
वो पन्ने जो उन्हें पसंद नहीं आये.. वो पन्ने जिनसे मेरी जिंदगी जुडी थी और उनकी नफरत
जब उन पन्नों को मेरी जिंदगी से अलग नहीं कर पाए तो उन्होंने
मेरी जिंदगी कि किताब के पोस्टर छपवा कर बाज़ार में लगा दिए ...
सबको ये बताने को कि मेरी इतनी फटी हुई जिंदगी को भी वो अपनाने को तैयार है
और एक मै हूँ जो उनको अपना नहीं समझती ...तभी तो
मेरी जिंदगी कि किताब के पन्नों को फाड़ने का हक मैने उन्हें नहीं दिया !!!
कमाल कर दिया आपने ....
"मैंने आज़ाद किया अपनी वफाओं से तुझे , बेवफाई कि सजा मुझको सुना दी जाये ...
मैंने मांगी थी उजाले कि फ़क़त एक किरण ...तुम से ये किस ने कहा आग लगा दी जाये "
मैने अपनी जिंदगी खुली किताब सी बिछा दी उनके सामने ...
ताकि कोई शिकवा गिला ना रह जाये...
उन्होंने मेरी जिंदगी कि किताब को पढ़ा और अपने हिसाब से किताब के पन्ने फाड़ने लगे...
वो पन्ने जो उन्हें पसंद नहीं आये.. वो पन्ने जिनसे मेरी जिंदगी जुडी थी और उनकी नफरत
जब उन पन्नों को मेरी जिंदगी से अलग नहीं कर पाए तो उन्होंने
मेरी जिंदगी कि किताब के पोस्टर छपवा कर बाज़ार में लगा दिए ...
सबको ये बताने को कि मेरी इतनी फटी हुई जिंदगी को भी वो अपनाने को तैयार है
और एक मै हूँ जो उनको अपना नहीं समझती ...तभी तो
मेरी जिंदगी कि किताब के पन्नों को फाड़ने का हक मैने उन्हें नहीं दिया !!!
कमाल कर दिया आपने ....
"मैंने आज़ाद किया अपनी वफाओं से तुझे , बेवफाई कि सजा मुझको सुना दी जाये ...
मैंने मांगी थी उजाले कि फ़क़त एक किरण ...तुम से ये किस ने कहा आग लगा दी जाये "
....नमिता
Saturday, September 11, 2010
समझ ज़रा
किसने कहा वो हमे नहीं समझते .....?????
ये और बात है कि जितना समझते है गलत समझते है....!!!!
मुझे पता था आप मुझे कितना समझते है ...पर फिर भी दिल संभाला हुआ था ...
आज आपने मुझे एहसास कराया आप मुझे क्या समझते है ....इस बार दिल टूटने से नहीं संभल पाई ...!!!
ये और बात है कि जितना समझते है गलत समझते है....!!!!
मुझे पता था आप मुझे कितना समझते है ...पर फिर भी दिल संभाला हुआ था ...
आज आपने मुझे एहसास कराया आप मुझे क्या समझते है ....इस बार दिल टूटने से नहीं संभल पाई ...!!!
...नमिता
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