सपने बचा लेते हैं
जब मारता है ज़माना थप्पड़ इन गालों पर...
और मानता है मन कि शायद हम नहीं हैं उन किस्मत वालों में
तब ,
सपने बचा लेते हैं...
सपने ! !
सपने ...जो कई रात सोने नहीं देते
हौसलों कि चाभी खोने नहीं देते !
जो दिन रात करते हैं सवाल खुद के आत्मविश्वास पर...
कोशिशों और प्रयास पर
मगर ज़माने के सामने कभी ... रोने नहीं देते !
जब थकान में भी भागो तुम और रास्ते में आंधी हो
जेबें हों खली पर सर्वश्रेष्ठ गाँधी हो...
तब जी चाहेगा रुक जाएँ क्या ? ... थम जाएँ क्या? ... दिल करता है मर जाएँ क्या...
पर तभी सपने बचा लेते हैं !
बस सपने बचा लेतें हैं ... सिर्फ सपने बचा लेते हैं...
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