Thursday, December 3, 2009

एहसास

अपने घर की तलाश लिए भटक रही थी जिंदगी कि वो आ गया ...
मेरे आशियाने को पहचान देता सा लगा ... सोच रही हूँ कोई आहट क्यों नहीं हुई उसके आने की
कब वो होले से मेरे सपनो में जगह बना गया ...


उसका हाथ पकड़ कर उड़ने लगी हूँ आसमान में ... बहुत सुन्दर लगती है दुनिया मुझे ... मेरे सपनो को धरातल मिल रहा है और ख्वाहिशों को आसमान ...


" हुआ मन झूम के बहुत खुश , जैसे ढेर सारी तितली उडी हों ...
उसने कहा न बहुत कुछ , पर मैं उसी अबोली डोर से जुडी हूँ !


ये प्यार है शायद ... हाँ प्यार ही होगा ... मैं इसी प्यार से खिली हूँ ...
समेट रही हूँ दोनों हथेलियों में खुशियाँ ... जैसे अभी अभी सपनों की गठरी खुली हो ...


वक़्त आया और उसे रुकना पड़ा ... मेरी जिद के आगे जैसे वक़्त की एक न चली हो ...
वो देखो कैसे खड़ा है यह वक़्त हाथ बांधे ... जैसे इसकी मेने एक न सुनी हो ..."


वो आज में जीता है सिर्फ इसी पल में ... इसी पल के लिए खुश होना चाहता है और खुश करना चाहता है ....दोनों ही 'कल' लड़ पड़ते हैं उस से कई बार पर वो सिर्फ आज में जीता है!


मेरा वो आज आ गया जो मुझे कल के लिए बहका रहा है , डरा रहा है ...हम दोनों के एहसास को रिश्तों में बुन देना चाहता है ये कल . मैं उस कल की सोच में बहक रही हूँ , डर भी रही हूँ ...फैसले लेने लगी हूँ ... वो मुझसे दूर न हो जाए इसलिए मैं उसे खुद से बांध रही हूँ


पर बार बार मेरे सामने यह कौन बेबस सा आ खड़ा हो रहा है ... हुबहू उसी से मिलता है इसका चेहरा ...लगता है ये वो ही है ... पर वो ऐसा बेबस कब था? नहीं तो ! कभी नहीं था ... पर वो मेरे सामने खड़ा है बेबस सा ! मैने इतना प्यार कर लिया उस से कि वो बेबस हो गया , उसके जनम के रिश्ते उसे चुभन देने लगे !


मेरा प्यार तो सिर्फ प्यार ही था न ये बंधन कब से हो गया ? ?


यहीं मैने छोड़ दी जिद ... उस से बांध जाने की जिद ... सोचा शायद वो जिद ले मुझ से बंधने के लिए ...पर वाह री किस्मत ...! वो जिद्दी है ही नहीं ...


फिसलने लगे फासले हाथों से ...!


.... छन्न......
ये क्या था कोई सपना टूटने की आवाज़ है शायद. वो मेरे सामने खड़ा है माफ़ी मांग रहा है , मेरा साथ न निभा पाने की माफ़ी ... मुझे तकलीफ पहुचने की माफ़ी ...मुझे अपनी जिम्मेदारियो में शामिल न कर पाने की माफ़ी ...वो माफ़ी चाहता है पर गलती थी कहाँ ...ये तो जिंदगी थी मेरी कोई गलती नहीं ...क्या वो मुझे जीना सिखाने की माफ़ी मांग रहा है , मेरे सपनो में रंग भरने की माफ़ी मुझे खुश होने का अधिकार दिलाने की माफ़ी ?...


मैं क्यूँ माफ़ कर दूँ उसे ?....



1 comment:

  1. A simple yet complex description of a journey of a gal who had to leave the dreamy phase of love and affection and suddenly everything falls apart for her including the moment and man for whom she cared for....

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