Sunday, December 6, 2009

वो कोई ख़ास है

लिख कर तेरा नाम मैं हर बार मिटाती हूँ
जब धीरे से हंस देते हो तुम मैं होले से मुस्काती हूँ

नहीं कर सकेगा जमाना कुछ हमारा हर पल मेरी जुबान पे नाम रहता है तुम्हारा

क्या हुआ जो बिन तेरे मैं राह में ठोकर खाती हूँ

हर घडी मैं तेरी याद को अरमानों में दफनाती हूँ
है याद तेरी इतनी कि मैं यादों कि सेज सजाती हूँ
हर शाम जला कर एक शम्मा चौखट पर तेरी बैठ जाती हूँ

" कि अब तुम उठ कर आओगे बाहों में मुझे छुपाओगे ...मैं जार जार तब रोउंगी तुम प्यार से चुप करोगे..."

बस इतनी सी फरियाद को मैं हर रोज़ दोहराती हूँ ... तुम मुझ से खफा होते हो क्यूँ लो उठ कर चली जाती हूँ ...

3 comments:

  1. Wo sachmuch bahut khaas hoga jiske liye tumne itanee shiddat se likha ...... Bahut khushnaseeb hoga jise itanaa chaahne wala mila .... khair kavita bahut sundar hai

    ReplyDelete
  2. nice way of expressing emotions...mills and boons typr.....dreamy

    ReplyDelete