Tuesday, September 28, 2010

unknown

यही वफ़ा का सिलसिला है तो कोई बात नहीं ,
दर्द ये तुमने दिया है तो कोई बात नहीं ,
यही बहुत है कि तुम देखते हो साहिल से
कश्ती डूब रही है तो कोई बात नहीं I
रखा था अरमानो दिल में छुपा कर तुमको,
वो घर तुमने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं,
तुमने ही आइना - ए - दिल मेरा बनाया था,
तुम्ही ने तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं ,
किसे मज़ाल कहे कोई मुझको "बदनाम "
पर अगर ये तुमने कहा है तो कोई बात नहीं...
यही वफ़ा का सिलसिला है तो कोई बात नहीं ,
दर्द ये तुमने दिया है तो कोई बात नहीं 

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